Thursday, January 10, 2019

आलोक वर्मा की विदाई पर बोले राहुल गांधी : मिस्टर मोदी को रात में नींद नहीं आ रही

सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को उनके पद हटाए जाने के बाद से ही सियासी बयानबाज़ी शुरू हो गई है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया संघर्ष छिड़ गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय सलेक्शन कमेटी ने गुरुवार रात को सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने का फ़ैसला लिया था. उन्हें अग्निशमन विभाग का निदेशक बनाया गया है.

दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फ़ैसले को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आलोक वर्मा ने बुधवार को अपना कार्यभार दोबारा संभाला था.

गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों वाली समिति ने लंबी बैठक के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का 2-1 से फ़ैसला किया.

इस बैठक में लोक सभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की ओर से नियुक्त जस्टिस एके सीकरी भी शामिल थे. मल्लिकार्जुन खड़गे ने वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने के फ़ैसले का विरोध किया था.

आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद पक्ष विपक्ष के तमाम नेता इस फ़ैसले की समीक्षा में जुटे हैं. ट्विटर पर इस फ़ैसले से जुड़े कई हैशटैग टॉप ट्रेंड बने हुए हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस संबंध में दो ट्वीट किए हैं. पहले ट्वीट में उन्होंने सवाल किए हैं कि प्रधानमंत्री सीबीआई प्रमुख को हटाने के लिए इतनी ज़ल्दी में क्यों हैं? और प्रधानमंत्री ने सीबीआई प्रमुख को उच्चस्तरीय समिति के सामने पेश होने की इजाज़त क्यों नहीं दी?

अपने दूसरे ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा है, ''मिस्टर मोदी के दिमाग में डर हावी हो चुका है. वे रात को सो नहीं पा रहे. उन्होंने आईएएफ़ से 30 हज़ार करोड़ रुपए चोरी किए और अनिल अंबानी को दे दिए. सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को लगातार दो बार पद से हटाना, साफ़तौर पर दर्शाता है कि वे अपने ही झूठ में फंस चुके हैं. सत्यमेव जयते''

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर लिखा, ''ब्रेकिंग! आलोक वर्मा के सीबीआई निदेशक के पद पर लौटने के एक दिन बाद ही मोदी के नेतृत्व में बनी समिति ने उन्हें दोबारा पद से हटा दिया है और वो भी उनकी सुनवाई के बिना. यह सब इस डर से किया गया कि आलोक वर्मा मोदी के ख़िलाफ़ रफ़ाल सौदे से जुड़ी एक एफ़आईआर करने जा रहे थे.''

दूसरी तरफ बीजेपी की ओर से भी इस फ़ैसले के बाद कई ट्वीट किए गए. बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया प्रमुख प्रीति गांधी ने ट्विटर पर लिखा है, ''आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक के पद से हटाकर पीएम मोदी ने यह दिखाया है कि अंतिम निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए देश के प्रधानमंत्री ही लेंगे.''

इस बीच ट्विटर पर कांग्रेस नेता और आलोक वर्मा को हटाने का फ़ैसला करने वाली उच्चस्तरीय समिति के सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे को भी कई बीजेपी नेताओं ने अपने निशाने पर लिया.

दरअसल इस तीन सदस्यीय समिति में खड्गे ने अकेले आलोक वर्मा को हटाए जाने के फ़ैसले का विरोध किया था.

जिस वक़्त केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के तौर पर नियुक्त किया था तब भी मल्लिकार्जुन खड्गे ने अपना विरोध दर्ज कराया था.

बीजेपी नेता बाबुल सुप्रियो ने इस संबंध में ट्वीट किया, ''श्री मल्लिकार्जुन खड्गे ने आलोक वर्मा की नियुक्ति और बर्खास्तगी दोनों पर अपना विरोध जताया था. यह साबित करता है कि कांग्रेस बिना सोचे समझे किसी भी बात का विरोध करती है. यहां तक कि कई बार तो खुद की विश्वसनीयता की कीमत पर.''

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